-किरण बेदी, एक परिचय
-किरण बेदी एक सामाजिक कार्यकर्ता और सेवा निवृत आईपीएस हैं,
जिन्होंने 1972 में पुलिस सेवा में प्रवेश के बाद 2007 में सेवा से रिटायमेंट ले लिया था। वे लोकप्रिय टीवी श्रृंखला 'आप की कचहरी' की मंच संचालक भी रह चुकी हैं। उन्होंने दो गैर-सरकारी संगठन भी बनाए हैं जिनमें से एक को नवज्योति इंडिया फाउंडेशन और दूसरे को इंडिया विजन फाउंडेशन के नाम से जाना जाता है।
नवज्योति पुलिस सुधार के लिए और इंडिया विजन फाउंडेशन जेल सुधारों के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। उन्हें 1994 में सरकारी सेवा के लिए रमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। जबकि उन्हें और भी बहुत से पुरस्कार मिल चुके हैं।
किरण बेदी का जन्म 9 जून, 1949 को अमृतसर पंजाब में हुआ था। वे प्रकाश पेशावरिया और प्रेम पेशावरिया की चार बेटियों में से दूसरे नंबर की हैं। उनकी तीन बहनें हैं जिनमें से शशि कनाडा में रहती हैं और एक कलाकार हैं। दूसरी बहन रीता नैदानिक मनोवैज्ञानिक और लेखक है जबकि तीसरी बहन अनु एक वकील हैं।
एक आई.पी.एस. रहते हुए क्रेन बेदी के नाम से सुविख्यात, उन्होंने बहुत सारे महत्वपूर्ण काम किए। वे संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों से भी जुड़ी रहीं और इसके लिए उन्हें पदक भी दिया गया था। दिल्ली में यातायात में जब वे उच्च पदस्थ अधिकारी थीं, तब उन्होंने तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की कार को क्रेन से उठवा लिया था और पार्किंग नियमों का उल्लंघन करने पर अर्थदंड भी लगाया था।
उन्हें जेल प्रशासन में महत्वपूर्ण सुधार करने के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने कैदियों के कल्याण के लिए तिहाड़ जेल में बहुत सारे सुधार किए, जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें रमन मेगसेसे पुरस्कार के साथ साथ उन्हें 2005 में मानद डॉक्ट्रेट उपाधि व जवाहर लाल नेहरू फेलोशिप भी मिली थी।
किरण बेदी अन्य पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर नशा करने वाले कैदियों के सुधार के लिए नशामुक्ति अभियान चलाया और अब उनके फाउंडेशन निरक्षरता और महिला सशक्तीकरण के लिए काम कर रहे हैं। वे इंडिया अगेंस्ट करप्शन की एक प्रमुख सदस्य रही हैं, जिसमें अण्णा हजारे के साथ मिलकर उन्होंने और अरविंद केजरीवाल ने जन लोकपाल के लिए आंदोलन किया था। वे और उनके साथी देश में सशक्त लोकपाल की नियुक्ति करने के लिए सरकार से आग्रह करते रहे हैं।
जहाँ एक ओर उन्हें बहुत सारे पुरस्कार, प्रशंसा मिली है वहीं एक विदेशी कैदी को चिकित्सा सेवा उपलब्ध न कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी आलोचना की थी और उनके विरुद्ध अदालत की अवमानना के मामले आरम्भ किये थे। 1988 में बाधवा आयोग ने वकीलों पर लाठी चलवाने के लिए बेदी की आलोचना की थी।
बहुत सारे लोकप्रिय साक्षात्कार शो के चालक करण थापर ने भी, उनसे जुड़े विवादों को लेकर एक लेख लिखा था और इस कारण से वे थापर के एक साक्षात्कार शो में नहीं गई थीं। जन लोकपाल के लिए चल रहे आंदोलन के मध्य भी सरकारी और गैर सरकारी लोगों ने उनपर कट्टरपंथी होने का आरोप लगाया था। उन पर सांसदों का अपमान करने के भी आरोप लगे।
उनके उपर हवाई टिकट का अनुचित किराया वसूलने और अनुचित ढंग से अपनी बेटी को एम.बी.बी.एस. कोर्स में प्रवेश दिलाने का भी आरोप लगा। जिस कोटे के अंतर्गत उनकी बेटी को मेडीकल सीट मिली, वह उत्तर-पूर्व के छात्रों के लिए था, किन्तु उनका कथन था कि वे मिजोरम में सेवारत हैं इसलिए उनकी बेटी भी उत्तर पूर्व की है।
उन पर गैर-सरकारी संगठनों के धन का दुरुपयोग करने का भी आरोप लग चुका है। उनके यथार्थ जीवन पर एक फीचर फिल्म भी बन चुकी है जिसका विश्व भर में प्रदर्शन किया गया था। उन पर एक वृतचित्र भी बनी जोकि बहुचर्चित हुई। किरण बेदी की कई जीवनियां भी बाजार में बिक रही हैं। स्वयं किरन बेदी ने कई पुस्तकें लिखी हैं जोकि चर्चित हुई हैं।
घर 4 दीवारी से नहीं 4 जनों से बनता है,
परिवार उनके प्रेम
और तालमेल से बनता है |
आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
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