घर 4 दीवारी से नहीं 4 जनों से बनता हैपरिवार उनके प्रेम और तालमेल से बनता है सभी कार्यों को जोड़ कर साधना, सफल गृहणी का काम है नौकरीवाली से पैसा बनेगा/घर नहीं प्रभाव और दुर्भाव में, आधुनिक/पारिवारिक तालमेल से उत्तम घर परिवार से देश आगे बड़े रसोई, बच्चों-परिवार की देख भाल, गृह सज्जा के बीच अपने लिए भी ध्यान देती शिक्षित नारी-(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/ निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैटकरें, संपर्कसूत्र- तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 9999777358.

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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Monday, February 24, 2014

नारी शक्ति (आधुनिक)

नारी शक्ति (आधुनिक) 
मित्रों, एक मित्र की यह व्यंग रचना (सम्पादित) साभार प्रस्तुत
**** फैशन की मारी – "भारतीय नारी" ****
...नारी शक्ति के भिन्न भिन्न रूपों का जब भी उल्लेख होता है, तो हम यह चर्चा करना भूल जाते हैं कि कैसे युगों-युगों से भारतीय महिलाएं सर्दियों के मौसम में बिना स्वेटर और शॉल के शादियों में उपस्थित होती आ रही हैं। क्या आपने मेरे ब्लाउज़ का 'डिप कट' देख लिया?  

मित्रों...विवाह वाटिका के खुले मैदान की सर्द हवा में जहां पांच मिनट में ही पुरुषों के दांत कल्लू लोहार के चिमटे की भांति किटकिटाने की क्रांति करने लगते हैं, वहां ये वीर बालाएं डेढ़ सौ रुपये अतिरिक्त देकर बनवाए ब्लाउज के 'डीप यू कट' को दिखाने के लिए स्वेटर तक नहीं पहनतीं। स्वयं मेहनती होने के कारण जानती हैं कि 2 घंटे लगाकर मेहंदीवाले लड़के ने बांह पर जो 'बांका-टेढ़ा बूटा' बनाया है, 'सेल' में खरीदी ढाई सौ की शाल पहनकर मैं उसका बेड़ागर्क कैसे कर सकती हूं? फिर भले ही जगत बाऊजी आलोकनाथ वहां आकर उसके कंधे पर अपनी लोई क्यूं न डाल दें, ये रिक्शे में बिठाकर उन्हें भी वहां से बस स्टैंड के लिए प्रस्थान करा देंगी।

मित्रों...आज की इस भारतीय नारी को शीत लगने से एक सप्ताह तक रजाई के कवर से अपना नाक पौंछना स्वीकार है, किन्तु ये मम्मी का काला स्वेटर पहनकर उसके नीचे लहंगे की मैचिंग का बाजूबंद कैसे छिपा ले? कम समय में उस मासूम के सामने यूपीए सरकार से भी अधिक चुनौतियां रहती हैं। क्योंकि चार घंटे के उस उत्सव में उसे अपने तीनों परिधान पहनने होते हैं। हर नए परिधान पहनने से पहले ये पुष्टि भी करनी होती है, कि पुरानी वाला सभी ने देखा या नहीं। फिर बदलने के बाद यहां-वहां मोरनी बन घूमते ये गणना भी करनी पड़ती है कि मेरी अदाओं से घायल लोगों का आंकड़ा अन्तत: कहां तक पहुंचा? चूंकि सजना-संवरना दूसरों के लिए होता है और स्वेटर न पहनना शौर्य का काम है इसलिए मेरी प्रार्थना है कि अन्य शूरवीरों के साथ-साथ अगली 26 जनवरी से हर वर्ष ऐसी वीरांगनाओं का भी सम्मान होना चाहिए।
मित्रों...जरा कल्पना करें, कि कैसा लगेगा! जब घोषणा होगी-पिंकी कुमारी, जिन्होंने अदम्य साहस, अटूट इच्छाशक्ति और अद्भुत पराक्रम का परिचय देते हुए भीषण शीतलहर के बीच इस ऋतु की सात शादियां बिना स्वेटर और शॉल के रहीं, ये सम्मान लेने के लिए हम मंच पर उनके पति को बुलाना चाहेंगे, क्योंकि वो स्वयं  निमोनिया की शिकार होने के चलते अस्पताल में भर्ती हैं।
घर 4 दीवारी से नहीं 4 जनों से बनता है, परिवार उनके प्रेम
और तालमेल से बनता है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
http://jeevanshailydarpan.blogspot.in/2014/02/blog-post_24.html

Monday, February 10, 2014

जागो और जगाओ!

जागो और जगाओ!
जड़ों से जुड़ें, युगदर्पण मीडिया समूह YDMS से जुड़ें!!
विश्व कल्याणार्थ भारत को विश्व गुरु बनाओ !!!
 मैकाले ने जिस प्रकार भारतीय जीवन के सभी अंगों को प्रदूषित किया है, उसे पुनः उचित सांचे में ढाल कर, भारत को विश्व गुरु के उसके खोये पद पर, पुनर्प्रतिष्ठित करने के उद्देश्य से बने, इस युगदर्पण मीडिया समूह YDMS  के 28 ब्लॉग का समूह, उन सभी देश भक्त लेखकों का आह्वान करता है, जो सोशल मीडिया पर जुड़े हैं तथा अच्छे लेखन से समाज को कुछ देना चाहते हैं। भारत की जड़ों से 60 से अधिक देशों में जुड़ा, एक प्रतिष्ठित वैश्विक मंच, आपके लेखन को वैश्विकता प्रदान करेगा, मैकालेवाद के विपरीत भारत माता को गौरवान्वित करेगा। इसकी सार्थकता हेतु, इसके विविध 28 विषय तथा उनकी गहनता व सोच पर विशेष बल दिया गया है। तभी सार्थक, सफल व लोकप्रिय होकर यह लक्ष्य को पूर्ण कर पायेगा। युगदर्पण मीडिया समूह YDMS के 28 ब्लॉग पर Live Traffic list से यह जानकर, कि वैश्विक स्तर पर आगंतुक आशा से कहीं अधिक थे। जहाँ एक सुखद अनुभूति हुई, वहाँ स्वयं पर, उन्हें उनकी आकांक्षा के अनुरूप सामग्री उपलब्ध करने का दायित्व पूरा कर पाने में असफल रहने का बोध भी। गहन राष्ट्रीय सोच के साथ विविध 28 विषय लेकर एक व्यापक मंच, जिस गम्भीरता से बनाया गया, सम्भवत: उसके अनुरूप लेखकों की टोली होती तो, यह प्रयास सर्वाधिक उपयोगी और सफल होता तथा इससे कहीं अधिक लोकप्रिय भी।
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे, तब पायें 
नकारात्मक बिकाऊ मीडिया का सकारात्मक राष्ट्रवादी व्यापक सार्थक विकल्प, युगदर्पण मीडिया समूह YDMS.
यदि आप भी मुझसे जुड़ना चाहते हैं, तो आपका हार्दिक स्वागत है, संपर्क करें औऱ अपने सम्पर्क सूत्र सहित बताएं, कि आप किस प्रकार व किस स्तर पर कार्य करना चाहते हैं, तथा कितना समय देना चाहते हैं ? आपका आभार अग्रेषित है।
लेखक को जानें -संघर्ष का इतिहास 40 वर्ष लम्बा है, किन्तु 2001 से युगदर्पण समचारपत्र द्वारा सार्थक पत्रकारिता और 2010 से हिंदी ब्लॉग जगत में विविध विषयों के 28 ब्लॉग के माध्यम व्यापक अभियान चला कर 3 वर्ष में 60 देशों में पहचान बनाई है। तथा काव्य और लेखन से पत्रकारिता में अपने सशक्त लेखन का विशेष स्थान बनाने वाले, तिलक राज के 10 हजार पाठकों में लगभग 2000 अकेले अमरीका में हैं। 
तिलक राज रेलन, ऐसे वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिसने पत्रकारिता को व्यवसाय नहीं, सदा पवित्र अभियान माना है। वे कलम के धनी व युगदर्पण मीडिया समूह के संपादक हैं, जिसे केवल अपनी कलम के बल से चलाया जा रहा है । उनकी मान्यता है, कि मैकाले वादी कुचक्र ने केवल भ्रष्टाचार ही नहीं, जीवन के हर क्षेत्र को प्रदूषित किया है। यही कारण है, लड़ाई या सफाई भी व्यापक होनी चाहिए। -युग दर्पण प्रशंसक समूह YDPS 
 -तिलक, संपादक युगदर्पण मीडिया समूह  09911111611, 07531949051

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घर 4 दीवारी से नहीं 4 जनों से बनता है, परिवार उनके प्रेम
और तालमेल से बनता है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक